गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय कक्षा 10 PDF

गोस्वामी तुलसीदास भारतीय इतिहास के महान आध्यात्मिक और साहित्यिक व्यक्तित्व हैं। 15 अगस्त 1532 को उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले के राजापुर गाँव में उनका जन्म हुआ।

तुलसीदास का बचपन

तुलसीदास का बचपन का नाम रामबेला दुबे था। उनके पिता का नाम आत्माराम दुबे और माँ का नाम हुलसी था। हालांकि उनका जन्म राजापुर में हुआ, कुछ लोग सोरो को भी उनका जन्मस्थान मानते हैं।

तुलसीदास सरयूपारीण ब्राह्मण थे और उनका जन्म अभुक्त मूल नक्षत्र में हुआ, जिससे उनके जन्म के समय बत्तीस दांत थे।

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अद्भुत जन्म और बचपन

तुलसीदास के अद्भुत जन्म के कारण उनके माता-पिता ने उन्हें जन्म के समय त्याग दिया, जो एक असाधारण घटना थी।

स्वामी नरहरिदास के मार्गदर्शन में

तुलसीदास का पालन-पोषण उनके गुरु स्वामी नरहरिदास ने किया, जिन्होंने उन्हें धार्मिक शिक्षा दी।

उनका विवाह रत्नावली से हुआ, और प्रारंभ में वे पत्नी के प्रेम में गहरे रूप से संलग्न थे। लेकिन एक पारिवारिक विवाद ने उनके मन में वैराग्य उत्पन्न किया, जिसके बाद उन्होंने काशी की यात्रा की।

काशी में आध्यात्मिक खोज

काशी, ज्ञान और आध्यात्मिकता का केंद्र, ने तुलसीदास के जीवन को नया दिशा दी। यहां उन्होंने शेष सनातन नामक विद्वान से वेद, पुराण और अन्य पवित्र ग्रंथों का गहरा ज्ञान प्राप्त किया।

प्रेम और वैराग्य

तुलसीदास अपनी पत्नी से गहरे प्रेम में थे, लेकिन एक दिन पत्नी की फटकार ने उनके मन में वैराग्य का संचार किया। इसके बाद उन्होंने सांसारिक बंधनों को छोड़कर काशी की ओर रुख किया।

अध्यात्मिक साधना

तुलसीदास ने काशी में श्री सनातन जी के पास जाकर वेद, पुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों का गहन अध्ययन किया। उन्होंने अपने जीवन में धार्मिक और साहित्यिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

चिरंजीव रचनाएँ

तुलसीदास की प्रमुख रचना ‘रामचरितमानस’ रामायण की कथा को सरल भाषा में प्रस्तुत करती है, जिससे यह आम जनता के लिए सुलभ हो जाती है। इसके अलावा, उनकी अन्य महत्वपूर्ण रचनाएँ ‘हनुमान चालीसा’, ‘कवितावली’, और ‘विनयपत्रिका’ हैं।

तुलसीदास का जीवन का समापन

तुलसीदास ने काशी, अयोध्या और चित्रकूट में जीवन बिताया, और 31 जुलाई 1623 को काशी के अस्सी घाट पर उनका निधन हुआ।

अपने जीवन के माध्यम से उन्होंने साहित्य और धर्म में अद्वितीय योगदान दिया, जिससे उन्होंने हमारी सोच और भावनाओं को बदलकर हमें उच्च दिशा में प्रेरित किया।

तुलसीदास का जीवन, उनके अद्भुत जन्म से लेकर विद्या, भक्ति और साहित्य में योगदान, गहरी सोच और प्रेरणा का उदाहरण प्रस्तुत करता है।

Frequently Asked Questions

गोस्वामी तुलसीदास कौन थे?

गोस्वामी तुलसीदास एक महान संत, कवि और धार्मिक विचारक थे, जिन्होंने ‘रामचरितमानस’ जैसी उत्कृष्ट रचनाएँ लिखीं। वे भगवान श्रीराम के महान भक्त थे।

तुलसीदास का जन्म कब और कहां हुआ था?

तुलसीदास का जन्म 1532 में उत्तर प्रदेश के राजापुर गांव में हुआ था।

तुलसीदास की प्रमुख रचनाएँ कौन सी हैं?

उनकी प्रमुख रचनाएँ ‘रामचरितमानस’, ‘हनुमान चालीसा’, ‘कवितावली’, ‘विनयपत्रिका’ हैं।

तुलसीदास का योगदान साहित्य और धर्म में क्या था?

तुलसीदास ने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया और रामायण की कथा को आम जन तक पहुंचाया। उनका साहित्य धार्मिक भक्ति और समाज सुधार की दिशा में प्रेरक रहा।

गोस्वामी तुलसीदास का जीवन कहां व्यतीत हुआ?

तुलसीदास ने काशी, अयोध्या और चित्रकूट में अपना जीवन बिताया।

तुलसीदास की मृत्यु कब और कहां हुई थी?

उनकी मृत्यु 31 जुलाई 1623 को काशी के अस्सी घाट पर हुई थी।

‘रामचरितमानस’ का महत्व क्या है?

‘रामचरितमानस’ हिंदी साहित्य का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो श्रीराम के जीवन की कथा को भक्तिमय रूप में प्रस्तुत करता है और समाज में नैतिकता और धर्म की शिक्षा देता है।

गोस्वामी तुलसीदास की शिक्षा और भक्ति के बारे में क्या जानते हैं?

तुलसीदास का जीवन भक्ति, ज्ञान और साधना का प्रतीक था। उन्होंने अपने जीवन में श्रीराम के प्रति अपार श्रद्धा और भक्ति व्यक्त की।

Conclusion

गोस्वामी तुलसीदास का जीवन न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि धार्मिक और नैतिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक प्रेरणादायक है। उनकी रचनाएँ, विशेष रूप से ‘रामचरितमानस’, ने भारतीय समाज को धार्मिक और नैतिक शिक्षा प्रदान की, और उनका योगदान भारतीय साहित्य और संस्कृति में अनमोल रहेगा। तुलसीदास ने भक्ति, ज्ञान और समाज सुधार की दिशा में अपना जीवन समर्पित किया, जिससे वे आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं। उनका जीवन एक आदर्श है, जो हमें साधना, भक्ति और अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पण का पाठ पढ़ाता है।

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